छुट्टी के दिन चिण्टू-चन्दर
गए घूमने चिड़ियाघर ।
शेर-बाघ, भालू-बन्दर
सब थे पिंजरों के अन्दर ।
चन्दू बोला, देखो साथी
ऊंँचे बाड़े में है हाथी ।
इस कोने से उस कोने
दौड़ रहे हैं मृग-छौने ।
लेटे हैं चितकबरे चीतल
जहाँ पेड़ की छाया शीतल ।
हमें देखकर मुर्गे- तीतर
चले गए दड़बों के भीतर ।
टिट्-टिट् करती जहाँ टिटहरी
फुदक रही है वहाँ गिलहरी ।
ये जंगल में रहनेवाले
शीत-ताप सब सहने वाले ।
कुछ शाकाहारी, कुछ परभक्षी
एक जगह हैं सब पशु-पक्षी ।
दिनभर घूमे चिण्टू-चन्दर
थके-थके से लौटे हैं घर ।