सजे-सजाये घर की तन्हा चिड़िया!
तेरी तारा-सी आँखों की वीरानी में
पच्छुम जा छिपने वाले शहज़ादों की माँ का दुख है
तुझको देख के अपनी माँ को देख रही हूँ
सोच रही हूँ
सारी माँएँ एक मुक़द्दर क्यों लाती हैं?
गोदें फूलों वाली
आँखें फिर भी ख़ाली।
सजे-सजाये घर की तन्हा चिड़िया!
तेरी तारा-सी आँखों की वीरानी में
पच्छुम जा छिपने वाले शहज़ादों की माँ का दुख है
तुझको देख के अपनी माँ को देख रही हूँ
सोच रही हूँ
सारी माँएँ एक मुक़द्दर क्यों लाती हैं?
गोदें फूलों वाली
आँखें फिर भी ख़ाली।