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चिड़िया / भारत यायावर


एक परी आई थी रात

परी बहुत मासूम थी

सुफ़ेद कपड़ों में कितनी सुफ़ेद थी परी!

आँखों में तैरता था एक जादुई महल

महल में कै़द थी एक चिड़िया

परी धीरे-धीरे एक जंगल होकर मेरे चारों ओर फैल गई

चिड़िया फुदकने लगी

चिड़िया पहाड़ों की ऊँचाइयों को भी करने लगी बौना

जंगल में चिड़िया

जंगल से बाहर थी चिड़िया

लोगों के अंदर थी चिड़िया

लोगों की पकड़ से बाहर थी चिड़िया

चिड़िया जाड़े में धूप थी

गर्मी में वर्षा थी चिड़िया

और आदमी सूरज की प्रतीक्षा के लिए

चिड़िया की ओर टकटकी लगाता

रात आई थी एक परी

कविता के रंग न जाने कब भर दिए उसने मेरे अंदर?


(रचनाकाल : 1980)