चिड़िया
करती परिक्रमा
धूप की
नहीं दिखती
टटोलने पर भी
मिलती नहीं
देह
अपनी
निगल गया
समग्र
घूँट-घूँट
देखने को
मेरे
देखने वाला
चिड़िया
करती परिक्रमा
धूप की
नहीं दिखती
टटोलने पर भी
मिलती नहीं
देह
अपनी
निगल गया
समग्र
घूँट-घूँट
देखने को
मेरे
देखने वाला