चिड़िया तू बोल / कमलेश द्विवेदी

चीं-चीं-चीं चिड़िया तू बोल।
फिर कानों में मिसरी घोल।
 
गुमसुम-गुमसुम रहती रोज।
क्या है तेरे मन का बोझ।
जबसे बंद हुई पिंजरे में,
तबसे तू है डावाँडोल।
चीं-चीं-चीं चिड़िया तू बोल।

क्यों चुप है बतला दे आज।
फिर मम्मी जी हों नाराज।
या पापा हो जायें गुस्सा,
पर मैं दूँगा पिंजरा खोल।
चीं-चीं-चीं चिड़िया तू बोल।

उड़ने को हो जा तैयार।
जल्दी अपने पंख पसार।
जिधर-जिधर तेरा मन चाहे,
खुली हवा में जाकर डोल।
चीं-चीं-चीं चिड़िया तू बोल।

मैं होऊँगा नहीं उदास।
तेरा फोटो मेरे पास।
उसे देख खुश सदा रहूँगा,
मेरे लिये वही अनमोल।
चीं-चीं-चीं चिड़िया तू बोल।

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