Last modified on 15 फ़रवरी 2017, at 17:42

चिड़िया बोलो कहाँ गई / रमेश तैलंग

दादाजी के किस्सों में
जो चह-चह चहका करती थी
वो सोने के पंखों वाली चिड़िया
बोलो, कहाँ गई?

क्या उसको
बढ़ती आबादी के दानव ने मार दिया?
या फिर आलस के वश उसको
हमने ही दुत्कार दिया?
जिसके बल पर दुनिया भर में
धाक हमारी रहती थी,
वो सोने के पंखों वाली चिड़िया
बोलो, कहाँ गई?

मेरे इस छोटे से सवाल का
कोई तो उत्तर देगा,
या फिर दादाजी के किस्सों को ही
झूठा कर देगा,
बार-बार जो मेरे सपनों में
आते न थकती थी,
वो सोने के पंखों वाली चिड़िया
बोलो, कहाँ गई?