बैठ पेड़ पर चिड़िया रानी।
करती है मस्ती मनमानी।
फर-फर, फर-फर पंख चलाये।
फुर्र-फुर्र करती उड़ जाये।
फिर से आकर बैठी छत पर।
फुदक रही है मटक-मटक कर।
पता नहीं यह कब जायेगी।
किसके घर खाना खायेगी।
बैठ पेड़ पर चिड़िया रानी।
करती है मस्ती मनमानी।
फर-फर, फर-फर पंख चलाये।
फुर्र-फुर्र करती उड़ जाये।
फिर से आकर बैठी छत पर।
फुदक रही है मटक-मटक कर।
पता नहीं यह कब जायेगी।
किसके घर खाना खायेगी।