फूलां री सौरम
दिसावरां में आंवती
एक समै
संसार रो गुरू हो
म्हारो देस
जद पाटी परम्परा री चालती ही
आज .....?
बात ऊंधी है
समझण नैं इत्तो ई घणो रैसी
कै काल जिको ज्ञान बांटतो हो
आज टुकड़ा मांगतो
मिळ जासी
संसार सागर मांय
अर फूल सौरम देवण जिसा
रैवै कोनी।