वह
गई नहीं
ले जाई गई जबरन
दाबकर चिमटे से
चिनगी
चिलम में पहुँचाई गई
और पी जाई गई
जैसे गाँजा
न वह रही
न उसकी याद
रचनाकाल: ३०-०५-१९६९
वह
गई नहीं
ले जाई गई जबरन
दाबकर चिमटे से
चिनगी
चिलम में पहुँचाई गई
और पी जाई गई
जैसे गाँजा
न वह रही
न उसकी याद
रचनाकाल: ३०-०५-१९६९