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चिन्नी 'फाई’ / विलियम ब्लेक

चिमनी की सफ़ाई करने वाले 5-6 साल के बच्चे होते थे। कविता में दिखाया है कि बालक अपने पेशे की फेरी भी ठीक से नहीं दे पाता -- "Sweep!Sweep!" को 'weep! 'weep!" कहता है। मैंने अनुवाद किया है "चिन्नी 'फाई" (चिमनी सफ़ाई) । इसी को शीर्षक भी बना लिया क्योंकि चिमनी स्वीप के लिए कोई ढंग का शब्द नहीं सूझा। -- अनुवादक

बर्फ़ानी प्रान्तर में काली-सी चीज़ कोई दे रही दिखाई
आर्तस्वर चीख़ उस आकृति से आती है ये - चिन्नी 'फाई
"माता-पिता तेरे कहाँ गए, ओ बालक, कैसे तू अकेला?"
"चर्च में हैं दोनों ही ईश-प्रार्थना के हित, वन्दन की वेला।"

चूँकि पहले ख़ुश था मैं, घूमता ही रहता था परती-परास
शीत हो या हिम हो पर मन्द नहीं होता था मेरा मृदु हास
इसीलिए माता-पिता ने मुझे मौत के इस जामे में जकड़़ा
फेरी सिखला करके गाने को आर्ति भरा गीत दिया पकड़ा

अब भी रहता हूँ ख़ुश, गाता या नाचता हूँ संभव जब होता है
अतएव सोचते हैं मातृ-पितृ घाव नहीं दिए मुझे, ऐसा ही होता है
गए हैं वे ईश्वर का, ईश के पुरोधा का, राजा का गुणगान करने
तीनों बनाते हैं स्वर्ग एक, लगती हमारी कातर भूति जहाँ पुण्यवत् लगने।

अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : शिव किशोर तिवारी


और लीजिए, अब पढ़िए यही कविता मूल अँग्रेज़ी में
The Chimney Sweeper

A little black thing among the snow,
Crying " 'weep! 'weep!" in notes of woe!
"Where are thy father and mother? say?"—
"They are both gone up to the church to pray.

"Because I was happy upon the heath,
And smiled among the winter's snow,
They clothed me in the clothes of death,
And taught me to sing the notes of woe.

"And because I am happy and dance and sing,
They think they have done me no injury,
And are gone to praise God and his Priest and King,
Who make up a heaven of our misery."

.—William Blake