चींटियाँ बहुत पहले पहुँच जाती हैं
नष्ट होते हुए के पास
काम की तरह।
प्रेम,पुण्य, दान, घृणा
मृत्यु की तरह मुक्त समेटतीं
चलती हैं
इंतज़ार नहीं करतीं।
चींटियाँ बहुत पहले पहुँच जाती हैं
नष्ट होते हुए के पास
काम की तरह।
प्रेम,पुण्य, दान, घृणा
मृत्यु की तरह मुक्त समेटतीं
चलती हैं
इंतज़ार नहीं करतीं।