आरम्भ हो चुकी है चींटियों की दिनचर्या
प्रार्थनाओं के अन्तिम शब्द भी
चल दिए हैं ईश्वर को सूचना देने
कि संसार में सब कुछ
उसी की इच्छाओं के अनुरूप हो रहा है
कि एक भी चींटी ऎसी नहीं निकली
जिसने चिरकाल से चले आ रहे अनुशासन को
तोड़ने की कोशिश की हो।
जीवन को कर्त्तव्य भाव से
सिर्फ़ चींटियाँ जीती हैं
बिना यह जाने
कि जो कुछ भी वे करती हैं
किसी धर्म या विधान के अनुसार करती हैं।