चींटी बोली चलते चलते
थक जाते हैं पैर,
पंख अगर मेरे भी होते
उड़ कर करती सैर ।
कलकत्ता से उड़ती दिल्ली
दिल्ली से भोपाल
सपने सारे सच कर लेती
घूम घूम संसार।
आ के बैठ गई इक मक्खी
चींटी के सिरहाने
गहरी नींद से जागी चींटी
सपने उड़े सुहाने।