Last modified on 3 मार्च 2024, at 23:43

चुटकी भर आभार / वैशाली थापा

तुम्हारे सहानुभूति से भरे शब्द
ईंधन की तरह थे
आकर रसोई में तुमने
जो कृतज्ञ आँखों से देखा
स्नेह से भरा स्पर्श
उसके कंधों पर रखा
तो लगा वह और पाँच लोगो का
खाना बना सकती है।

तुम्हारे हाव-भाव में छलकता हुआ आभार
ऊर्ज़ा की तरह दोड़ा उस में
उसने हर बार सिर्फ खाना नहीं प्रेम परोसा

तुमसे मदद की उम्मीद में नहीं है वह
तुम्हारी शुक्रगुज़र नज़र की प्रतीक्षा में है।