Last modified on 8 सितम्बर 2018, at 01:57

चुट्टी / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

गाछ पर देखियौ
दूभि पर देखियौ
फूल पर देखियौ
घर पर देखियौ
आँगनमे देखियौ
छत पर देखियौ
मैदानमे देखियौ
पहाड़ पर देखियौ
रेगिस्तानमे देखियौ
जेरक-जेर धारीमे चलैत चुट्टी।

चुट्टी
दिन-राति उघैत रहैत अछि
अन्नकण
मनोयोगसँ लागल रहैत अछि
काज करबामे
घर-गृहस्थी
सम्हारबामे।