आज पिताजी बकरी लाए,
संग में दो बच्चे भी आए।
‘चुन्नू-मुन्नू’ इनके नाम,
उछल-कूद है इनका काम।
‘मैं-मैं’ करते दोनों बच्चे,
कितने सुंदर कितने अच्छे।
माँ, ये भूखे रह न पाएँ,
चाहे हम भूखे रह जाएँ।
ये सब कुछ सह लेते हैं,
हम सब कुछ कह देते हैं।
इनकी माँ भी भोली है,
अब बाँधी तब खोली है।
‘मैं-मैं’ कर मिमियाती है,
बच्चे पास बुलाती है।