भाषा संस्कृति पर प्रहारकऽ
घूमि रहल पुनि छाति तानि,
नीचाँ सँ ऊपर धरि शिक्षाकेँ
कयलक सब ठाम उबानि,
पैर तरक धरती धसले अछि
ऊपर धीपि रहल अछि चानि,
तेँ मिथिलावासीकेँ चाही
केवल आब चुरू भरि पानि।
भाषा संस्कृति पर प्रहारकऽ
घूमि रहल पुनि छाति तानि,
नीचाँ सँ ऊपर धरि शिक्षाकेँ
कयलक सब ठाम उबानि,
पैर तरक धरती धसले अछि
ऊपर धीपि रहल अछि चानि,
तेँ मिथिलावासीकेँ चाही
केवल आब चुरू भरि पानि।