अपने वजूद को
बचाने की खातिर
कई बार खड़ी हुई हूँ
तुम्हारी चौखट पर
अपना हाथ फैलाई
तुझसे जरा सा
प्यार , विश्वास
और अपनत्व मांगती …
पर अब कोई उडीक नहीं
कर दूँगी ऐलान
अपनी होंद का …
अब मैंने चूड़ियाँ
उतार फेंकी हैं …
अपने वजूद को
बचाने की खातिर
कई बार खड़ी हुई हूँ
तुम्हारी चौखट पर
अपना हाथ फैलाई
तुझसे जरा सा
प्यार , विश्वास
और अपनत्व मांगती …
पर अब कोई उडीक नहीं
कर दूँगी ऐलान
अपनी होंद का …
अब मैंने चूड़ियाँ
उतार फेंकी हैं …