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चूहा आया / फुलवारी / रंजना वर्मा

चू चू चू चू चूहा आया।
जी भर खूब अनाज उड़ाया॥
कुतर कुतर कर कपड़ा काटा।
कुतरा आलू भिंडी भाटा॥
पापा लाये चूहेदानी।
खत्म हुई उस की मनमानी॥
लालच अधिक बुद्धि थी मोटी।
ज्यों ही उस ने खींची रोटी॥
खट से बंद हुआ दरवाजा।
चूहे जी का बज गया बाजा॥