अन्तस की हवाई पट्टी पर
स्थिर चेतना
अनायास ही मुड़ती है
उड़ती है
आकाश की पर्तों को चीर
चुम्बकीय शक्तियों से दूर
भारहीन व्यवस्था में
तैरती रहती है .
अन्तस की हवाई पट्टी पर
स्थिर चेतना
अनायास ही मुड़ती है
उड़ती है
आकाश की पर्तों को चीर
चुम्बकीय शक्तियों से दूर
भारहीन व्यवस्था में
तैरती रहती है .