Last modified on 1 अप्रैल 2018, at 15:22

चेतावणी / मीठेश निर्मोही

बीसवै सईकै रै सेड़ै
कठै पूगग्या हां म्हे ?

नानी-दादी नै झुरै
दिन-रात
कांई गीत
अर
कांई बात!

तरसै गीतां नै कंठ
रांचै पाठकां नै
कविता अर सबद।

वेलै माईतां सारू
टाबर
अर बेटा सारू
तात।

संभाळौ, सभाळौ,
अर सभाळौ
नींतर व्हैला
आपघात।