धरयो बटोरि हीरा रतन मोति चीरा, दियो अनाथपीर जयो न जाप पिय के।
पवार पाट अंवर कहा चढे सुखवंर, किये जो आह-डंबर पिये कहा अमीय के॥
कियो न ध्यान नाथ् को गँवायो गांठि हाथ को, लियोन साथि साथ को भरोसे जाय जीव के।
भजो न जौलों नाथ गात अन्त है, वसन्त-पात, औ धिमे सिरात जात जैसे तेल दीप को॥3॥