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चेहरे का पानी / अमलेन्दु अस्थाना

तुम्हारे चेहरे का पानी उतर गया,
जमाने की प्यास बुझ गई,
जितना सोचा दुनिया उतनी उलझ गई,
कोरा कागज पढ़ा अमल गुत्थी सुलझ गई।।