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चैतावर / सदानंद मिश्र

चैत के महीनमा में चिहुंकै परनमा
कोयली कुहूकी मारै जान
हो कोयली कुहूकी मारै जान
अमुवाँ के डारो-डारो झूमै रे टिकोलवा
पुरवा पवन छेड़ै तान
हो कोयली कुहूकी मारै जान

महँ महँ बगिया के उभरल जवनियां
झूमी झूमी भौंरा मांगै दान
हो कोयली कुहूकी मारै जान

पुरवा दुअरिया के भिड़कल केवड़िया
बनी ठनी हुलकै छै विहान
हो कोयली कुहूकी मारै जान

पियवा के पतिया में सिमटल छतिया
हो कोयली कुहूकी मारै जान
हो कोयली कुहूकी मारै जान