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चैत-बैसाख कू पाड़ / सुन्दर नौटियाल

कबि चैत बैसाख मा मेरा पहाड़ ऐक देख ।
मेरा पाड़ू की रौनक तू जिंदा जिवन जैक देख ।।
भांति-भांति का रूप दिखेला रंग बिरंगी धरती का,
जादा नी त दिन चार यीं देवभूमि मा रैक देख ।।
कबि चैत बैसाख मा .....................।

गाड़ी जब कच्ची-पक्की सड़क्यांे जाणी होली,
उंची पाड़ी, गैरी घाटी मा आंखी रिंगाणी होली ।
कखि खळखळी डांडि देखी मन उदास होलू त,
खाळों मा बांज जड़्यों कु पाणी पेक देख ।।
कबि चैत बैसाख मा .....................।

तखि पाखों मा बिटौं मा झलकी हिंसर किनगोड़ की,
लकदक झुकीं डाळी देखी आरू, चुला-अखोड़ की ।
हल्का गुलाबी गिर्याळ फूल, सुर्ख लाल मंदार का,
प्यारी फ्योंली की पिंगलाट मा रूप देखि धार का ।।
करौंदा की दाणी चाखि, हिंसर-किनगोड़ खैक देख ।
कबि चैत बैसाख मा .....................।

पुराणा पतेला झड़यां डाळौं मा तू नयी नवार देखि,
डाल्यों भुचक्यों मौल्यार होलू, पिंगली ग्यौं कि सार देखि
दैं मथे की डमेला-डमेली कखि, बल्दू कू रिंगाणु देखी,
दोफरा की तड़तड़ी रूड़िमा, पसीनाम नायूं किसाण देखी
झपंड्याळी ढाल्यौं क छैलू कभि घाम मा भपैक देख ।
कबि चैत बैसाख मा .....................।

चाली पड़यां भैंसों गैली, छोरू कु रफछौळ देखि,
बंटा किनारा धरी धारों मा पनेरों कु घपरौळ देखि ।
कखि क्यारकु का बिजाड़ा पड़दा उखडू़ कू हौळ देखि,
घसेर्यों का घास सुलेठा कखि, बणाग बजौंदू पतरौळ देखि
चलदा-चलदा कै धारा, कै गाड मा न्हवैक देख ।
कबि चैत बैसाख मा ..................... ।

धारू-धारौं मा सज्यां-धज्यां थौळू का थौल्यार देखि,
दानौं-संयाणौं, बेटी-व्बारि, छोटु-बड़ौंकु उलार देखि ।
न उंची चरखी, सरकस न बड़ी दुकानी होली तख,
मनख्यौं कु मिलाप देखि द्यब्तौं कु तिवार देखि ।
अपड़ा कांधा मा धरीक कै डोली छुलैक देख ।
कबि चैत बैसाख मा .....................।

रात छाजा का छोड़ बैठि देखि जरा आर-पार,
झुमझुम्या अंध्यरा म खोजि, उज्यला मांका ढौं-ढंगार ।
उंचा आकाश सी बि ऊंचा, काळा पहाड़ दिख्याणा होला,
उंची धारौं मा जल्यां बलप, गैंण्वां सि चमकाणा होला ।।
धरती अर आकाश का तू मिलण गीत बणैक देख ।
कबि चैत बैसाख मा मेरा पहाड़ ऐक देख ।
मेरा पाड़ू की रौनक तू जिंदा जिवन जैक देख ।।
भांति-भांति का रूप दिखेला रंग बिरंगी धरती का,
जादा नी त दिन चार यीं देवभूमि मा रैक देख ।।