Last modified on 16 जुलाई 2014, at 17:42

चैत / यात्री

पछवा सिहकए
सूरज दमकए
पाकल सुक्खल रब्बिक छीमड़ि बालि
मेही सुरमेँ बजबए मने सितार
दूरहिँ सँ चकचक करैत अछि चैतक खेत - पथार
डोला - लोलाकँ’ नमहर - नमहर आङुर
सहिजन सहजहिँ दइ छनि हरिअर सिगनल-
आबथु आब निदाघ
चाटथु माटिक सत्त
सुरकथु पानिक प्राण
पछबा सिहकओ, सूरज दमकओ
चैतक धरतीकेँ चाही बस वैसाखी शृंगार