मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चैत मे बेली फूलल, बैसाखमे दुइ फूल यो
जेठमे सन्ताप लागल, चढ़ल मास अखाढ़ यो
साओन मे मेघ झड़ी लगाओल, भादब राति अन्हार यो
आसिन मे घर देवता नोतब, कातिक पुनीत नहाएब यो
अगहनमे घर सारिल आबि गेल, पूरसमे हम जायब यो
माघमे ब्रज बाल औता, फागुन अबीर उड़ायब यो