चुहिया चाची ने चुपके से,
कच्चा आम चुराया।
बिल में ले जाकर मस्ती में,
कुतर-कुतर कर खाया।
दांत हो गए खट्टे तो फिर,
वह कुछ न खा पाया।
रोते-रोते वैद्य छछूंदर,
के दरवाजे आया।
वैद्य-राज बोले चाची जी,
चोरी बुरी बला है।
चोरी करने वालों का न,
होता कभी भला है।