पन्दरा अगस्त सैंतालिस का दिन लाखां जान खपा कै आया॥
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया॥
1
सैंतालिस की आजादी ईब दो हज़ार आ लिया
बस का भाड़ा याद करो यो कड़ै-सी जा लिया
सीमैंट का कट्टा कितने का आज कौणसे भा लिया
एक गिहूँ बोरी देकै सीमैंट हमनै कितना पा लिया
चिन्ता नै घेर लिये जिब लेखा-जोखा आज लगाया॥
2
आबादी बधी दोगणी पर नाज़ चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज़ भरया
ईमानदारी की करी कमाई फेर बी मनै कड़ सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया॥
3
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फ़ौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान बनाई थी
नये-नये घोटाले सुणकै यो मेरा सिर चकराया॥
4
गणतंत्र दिवस पै क़सम उठावां नया हरियाणा बणावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उसनै पूरा कर दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देस मैं घर-घर अलख जगावांगे
या दुनिया घणी सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया॥