बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
चौपर है राजन के लानैं
जिनै जगीरी खानैं।
बड़े भोर सें बिछो गलीचा
ठान ओई की ठानैं।
निस दिन तार लगी चौपर की,
मरे जात भैरानें।
कात ईसुरी जुरकै बैठत
लबरा केऊ सयाने।
चौपर है राजन के लानैं
जिनै जगीरी खानैं।
बड़े भोर सें बिछो गलीचा
ठान ओई की ठानैं।
निस दिन तार लगी चौपर की,
मरे जात भैरानें।
कात ईसुरी जुरकै बैठत
लबरा केऊ सयाने।