नारायण वाराह, यज्ञ अवतार कपिल मुनि। दत्तात्रय सनकादि, मोहिनी ऋषभदेव पुनि॥
पृथु रघुनाथ, ध्न्वंतर नारद गाऊँ। हय ग्रीव अरु मच्छ, कच्छ नरसिंह सुनाऊँ॥
विद्यापति गज मोचनो, वावन परशूराम उर।
कृष्ण सँकषर्न धरनि कह, वुद्ध और निलंक गुरु॥8॥
नारायण वाराह, यज्ञ अवतार कपिल मुनि। दत्तात्रय सनकादि, मोहिनी ऋषभदेव पुनि॥
पृथु रघुनाथ, ध्न्वंतर नारद गाऊँ। हय ग्रीव अरु मच्छ, कच्छ नरसिंह सुनाऊँ॥
विद्यापति गज मोचनो, वावन परशूराम उर।
कृष्ण सँकषर्न धरनि कह, वुद्ध और निलंक गुरु॥8॥