सोरठा
(बुद्धिस्थिता भगवती का उपदेश)
तातैं हदै-सँभारि, हरि-राधा को किन सुजस।
बरनन करत बिचारि, जिनके इमि सेबक किते॥
भावार्थ: इससे चित्त को सावधान करके श्रीराधा-माधव के सुयश का वर्णन क्यों नहीं करते, जिसके वसंत जैसे अनेक सेवक हैं।
सोरठा
(बुद्धिस्थिता भगवती का उपदेश)
तातैं हदै-सँभारि, हरि-राधा को किन सुजस।
बरनन करत बिचारि, जिनके इमि सेबक किते॥
भावार्थ: इससे चित्त को सावधान करके श्रीराधा-माधव के सुयश का वर्णन क्यों नहीं करते, जिसके वसंत जैसे अनेक सेवक हैं।