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छटंकी / कन्हैयालाल मत्त

छटंकी बगिया में जो गई
अचानक फूलों में खो गई !

फूल जैसा है उसका रंग
फूल जैसे हैं उसके गाल
फूल जैसा है उसका रूप
फूल-सी हुई छटंकी लाल
             छटंकी बगिया में जो गई
             फूल अपने जैसे बो गई !

फूल-सी नीली-नीली आँख
फूल जैसा चेहरा सुकुमार
फूल-सी खिली, ताज़गी-भरी
छटंकी पर आता है प्यार
             छटंकी बगिया में जो गई
             फूल पर, फूल बनी, सो गई !

फूल है या कि छटंकी खड़ी
छटंकी है या कोई फूल
पता कुछ भी तो चलता नहीं
हो रही है यह कैसी भूल
             छटंकी बगिया में जो गई
             फूल से मिली, फूल हो गई !