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छन्न की ध्वनि / राखी सिंह

मै मूढ़
इतना ही जान पाई प्रेम कि
एकांत की तन्द्रा भंग करने की शक्ति
है केवल आकुल पुकार के पास

इतनी तीव्र थी घात
कि देर तक गूंजती रही
मन के एकांत में
मन के टूटने की ध्वनि!