Last modified on 9 जून 2013, at 22:33

छल / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

टटोले गये सैकड़ों दिल।
बहुत हम ने देखा भाला।
प्यार सच्चा पाया किस में।
याँ सभी है मतलब वाला।1।

विहँस किरणों को फूलों ने।
गोद में अपनी बैठाला।
न जाना था बेचारों ने।
छिनेगी मोती की माला।2।