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छुआ किसने / सुनीता जैन

छुआ किस ने फूल हो गया
धरती का मैला रंग
चटक कर लागा किसके अंग
बीन-सा
कुहुक उठा रस-धार भीग मन
उमड़ा तन
अंगार हो गया