मैं
सबरी सरीखी
बेसबरी धारे हूं
तुम राम सरीखे
मत आना
पर
जो यही मन धारो
तो कहूं शर्माती
कानाबाती
ओ मेरे साजन
कण-कण मोरे
रच बस जाना
राम सरीखे
मत तड़पाना।
बस
जल बन आना
छू भर जाना
मरु को अपनी
दे जाना
किलकारी सी
एक निशानी।
मैं
सबरी सरीखी
बेसबरी धारे हूं
तुम राम सरीखे
मत आना
पर
जो यही मन धारो
तो कहूं शर्माती
कानाबाती
ओ मेरे साजन
कण-कण मोरे
रच बस जाना
राम सरीखे
मत तड़पाना।
बस
जल बन आना
छू भर जाना
मरु को अपनी
दे जाना
किलकारी सी
एक निशानी।