Last modified on 6 सितम्बर 2016, at 03:11

छैला / चक्रधर बहुगुणा

जिकुड़ि<ref>हृदय</ref> धड़क धड़क कदी।
अपणि नी छ बाणी।।
छैला<ref>प्रियतम</ref> की याद करी
उलरिगे<ref>व्याकुल</ref> पराणी<ref>प्राण</ref>।।

पखन जखन सरग<ref>आकाश</ref> गिड़िके
स्यां स्यां के बिजुलि सरके
ढाडु<ref>ओला</ref> पड़ं तड़-तड़ के

रुण झुण के पाणी।।
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी।।

बीच मुलक देश अहो
कनु कै जी ज्यू त सहो।
की जो क्या ब्यूत<ref>बात</ref> कहो।

छि मैं छवीं<ref>बातें</ref> नि लाणी।।
जिकुड़ि धड़क धड़क कदी।
अपणि नी छ बाणी।।

छैला बणि की उदास,
लैंदी दौं गरम स्वास?
बणिगे तन को कबास<ref>कपास</ref>,

कंदुड़ि<ref>कान</ref> छन बयाणी<ref>गुनगुनाहट होना</ref>।
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी।।

हिर-हिर के बथो<ref>हवा</ref> औंद
क्वी नी पर खबर लौंद
कनु कै जी शान्त होंद

पापि यो पराणी?
धड़क धड़क जिकुड़ि कदी
अपणि नी छ बाणी।।

झट अब घर जौलो
इनु इनु वीं भेंट ल्यौलो
मन हे, तू क्यां कु लोलो

करदि काचि<ref>कल्पना, कच्ची बातें</ref> गाणी?
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी।।

घर की तू जोत छई
कुल मां उपोत छई
सुन्दर जनु फुलीं जई

छै तु दिल कि राणी।
जिकुड़ि धड़क धड़क कदी
अपणि नी छ बाणी।।

फ्यूली<ref>एक फूल</ref> की कली जनी
क्वां सो स्यो वदन तनी
औंदो हा याद जनी,

तरस दो पराणी।
छैला की याद करी
उलरिगे पराणी।।

डांड्यों<ref>पहाड़ों</ref> बसदी हिलांस<ref>पक्षी</ref>
रुकदो दौं किलै स्वांस
खांदी क्या चुचा, फांस?...

शब्दार्थ
<references/>