कहने वाले कहे भले ही छोटा मुँह पर बात बड़ी,
पर अब हम भी चुप न रहेंगे, अब तो सिर पर आन पड़ी।
जब भी देखो बड़े-बड़ों को
बड़े बोल बोला करते,
लेकिन वे सारी चीजों को
पैसे से तोला करते,
जो हर चीज बना दे सोना, ढूँढ रहे जादुई छड़ी।
हमें खिलौने भी देते है
कपड़े भी सुन्दर-सुन्दर,
घर से अधिक उन्हें भाता, पर
अपना क्लब, अपना दफ्तर,
पास नहीं बैठा पाते हैं वे हमको दो-चार घड़ी।
मम्मी पापा अच्छे तो हैं
लेकिन रूखे-सूखे हैं,
भूल गये वे हम चीजों के-
नहीं प्यार के भूखे हैं।
फुर्सत हो तो सुने हमारे दिल में है जो बात गड़ी।
कहने वाले कहें भले ही- छोटा मुँह पर बात बड़ी।