बहुत छोटा था
मेरा सुख
एक बूँद की तरह
कि किसी सीप में
अगर बन्द हो जाता
तो मोती-सा बनता
मगर उन्होंने
मेरे छोटेसे सुख की
उंगली पकड़ ली
उसे चलना सिखाने को
और अब वे
उसे छोड़ना नहीं चाहते
कि वह
उनका सहारा हो गया है
मेरा छोटा सुख
जो था
कभी मेरा
अब मेरा नहीं रहा
क्योंकि
वह अब
बड़ा हो गया है।