छोटी-मोटी नीमू के साक्षी, भुंइयाँ लोटे डाढ़ी
ताही तरे आहे बलमुआ के, एहो पलंगा बिछाय।।१।।
हाँ रे, सबको त बेरिया ए नीमू, हाँ रे अति जूड़ी छाँह
कि हमरो त बेरिया गे ए नीमू, एते भइले पतझार।।२।।
रहु-रहु नीमू के हो गाछी, हाँ रे होखे दे बिहान,
कि एहो होखे दे विहान एहो जरी से कटइबों गे नीमू,
तोरे डाढ़-पात, एहो तोरे डाढ़-पात।।३।।