Last modified on 21 मार्च 2020, at 15:39

छोटी-सी बात / मनीष मूंदड़ा

एक छोटी-सी बात है...
अनकही
कई रातों का असर रखती है
सीने में रखी कोई धड़कन-सी
अपने पड़ाव को ढूँढती है
आँखों में रखी कुछ बूँदों सी
अपना रास्ता खोजती है
चुप चाप-सी रहती है मेरे होठों पे
मुस्कुराहट-सी
लेकिन छलक जाने से हिचकती है
बड़ी गहरी बात है
जिसका एक सिरा थाम
मैं अक्सर चला जाता हूँ
एक सफ़र पर
जहाँ कोई नहीं होता
बस उस बात की खामोशी असर रखती है।