छोट मुट गछिआ सखुअवा, जरिय गइले भहराई।
ताही तर निकले देवतवा, सब देव गइले उपराई।।१।।
एक दुइ देखेले, देसवा भइ गइले सोर नु हे।।२।।
अच्छत चन्नन पूजलन हे, वही पचलद जी के घार।
बाढ़ गोसाईं भक्ति बाढ़े, ब्राह्म लिहल अवतार।।३।।
छोट मुट गछिआ सखुअवा, जरिय गइले भहराई।
ताही तर निकले देवतवा, सब देव गइले उपराई।।१।।
एक दुइ देखेले, देसवा भइ गइले सोर नु हे।।२।।
अच्छत चन्नन पूजलन हे, वही पचलद जी के घार।
बाढ़ गोसाईं भक्ति बाढ़े, ब्राह्म लिहल अवतार।।३।।