बरतण मांजती बगत
छोरी बांचै है
आपरी तकदीर
हाथ री लीकट्यां में
अर सोधै है सपनां
उछाव समेत
सपनै सूं जाग‘र
छोरी भींच लेवै मुट्ठी
अर अमूंझ‘र
धोय न्हाखै हाथ
राख सूं।
छोरी रै अंतस में
एक धुकणो है
जिण रै खारै धुंवै सूं
जूझती छोरी
उडीकै है
मेह नै।