भोर होते ही जंगल जग जाता है
चिड़िया चहकने लगती हैं
शेर दहाड़ने लगता है
हाथी चिंघाड़ने लगता है
मुस्कुरा उठता है कण कण
हवा महकती है
रोम रोम में भर जाता है जीवन
अंधकार मिटता है
फैल जाता है उजास
उस असीम प्रकाश पुंज की किरणों से
मिट जाता है अज्ञान का अंधकार
जंगल की तरह
सोयी आत्मा जाती है जाग।