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जंगल की होऊं हरनोली बनदेवा / पँवारी
चर्चा
पँवारी लोकगीत
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रचनाकार:
अज्ञात
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जंगल की होऊं हरनोली बनदेवा
चरू बीरन को खेत रे बनदेवा
गौवा चराऊं मखऽ नींद नी आवत।।