Last modified on 6 अगस्त 2009, at 19:18

जगजीवन / परिचय

जगजीवन उत्तरप्रदेश के बाराबंकी जिले के रहने वाले थे। ये क्षत्रिय जाति के थे। एक बार दो संत बुल्ला साहब तथा गोविंद इनके पास पहुँचे और चिलम के लिए आग माँगी। जगजीवन उनके लिए दूध भी ले आए, किन्तु भय था कि पिता जान न जाएँ। संतों ने भाँप लिया। जब ये दूध पिलाकर घर लौटे तो लोटा दूध से भरा मिला। दौडकर दोनों महात्माओं को पकडा और उनके शिष्य हो गए। जगजीवन ने गृहस्थी में ही संतों सा जीवन बिताया तथा 'सतनामी पंथ चलाया। इनके 7 ग्रंथ हैं, जो 'जगजीवन साहब की बानी में संग्रहित हैं। इन्होंने निर्गुण ब्रह्म का प्रतिपादन किया। आत्मा-परमात्मा का प्रेम और विरह तथा गुरु-भक्ति और संसार से विरक्ति इनकी कविता के विषय हैं।