जगमगे जोबन जराऊ तरिवन कान ,
ओँठन अनूठे रस हाँसी उमड़े परत ।
कँचुकी मे कसे आवैँ उकसे उरोज ,
बिँदु बँदन लिलार बड़े बार घुमड़े परत ।
गोरे मुख सेत सारी कँचन किनारीदार ,
देव मनि झुमका झुमकि झुमड़े परत ।
बड़े बड़े नैन कजरारे बड़े मोती नथ ,
बड़ी बरुनीन होड़ा होड़ी हुमड़े परत ।
देव का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।