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जगाने वाले दिन / नवनीत पाण्डे

उसकी नींद में
उगता है हर बार एक नया सूरज
एक नया दिन लिए
उन दिनों से बिल्कुल अलग
जिन में वह जागता है
वह जागना चाहता है
उन नींद वाले दिनों में
पर उसे सोने ही नहीं देते
जगानेवाले दिन