गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 9 जून 2014, at 11:27
जग की छोड़े आस / हनुमानप्रसाद पोद्दार
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
हनुमानप्रसाद पोद्दार
»
पद-रत्नाकर / भाग- 6
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
(राग देश)
जग की छोड़े आस, प्रभुमें कर विश्वास।
ले वह सुख की साँस, कभी न रहे उदास॥